Fajar Ki Namaz Ka Tarika – फज़र की नमाज़ का तरीका

आज के इस पैगाम के जरिए हम और आप जानेंगे कि Fajar Ki Namaz Ka Tarika क्या होता है, हम सभी को पांच वक्त की नमाज हर रोज जरूर पढ़नी चाहिए यही एक जरिया है जिसके माध्यम से हम सभी का रिश्ता अपने रब के साथ मजबूत और हमारा रब खुश होता है।

हम सभी के लिए सबसे पहली हर रोज की नमाज और हर हर रोज़ में सबसे ज्यादा अफजल और आला नमाज़ फजर की नमाज़ होती है, हमारे और आपके बीच बहुत सारे लोग इस फजर की नमाज को मुकम्मल एवं दुरूस्त जानकारी ना होने के कारण नहीं अदा कर पातें हैं लेकीन वो फजर की नमाज़ अदा करना चाहते हैं।

Fajar Ki Namaz Ka Tarika

फजर की नमाज में सबसे पहले दो रकअत का सुन्नत नमाज़ यानी फजर की सुन्नत अदा किया जाता है:-
फजर की सुन्नत पढ़ने का तरीका:- सबसे पहले फजर की सुन्नत का नियत करें इसके बाद सना पढ़े, फिर अल्हम्दु शरीफ और कोई भी सुरह पढ़कर रुकुअ व सज्दा करें इसी तरह दुसरी रकअत भी मुक्कमल करें।

इसके बाद फजर की नमाज में दो रकअत का फर्ज नमाज अदा किया जाता है:-

फजर की फर्ज पढ़ने का तरीका:- यहां पर भी सबसे पहले फजर की फर्ज़ का नियत करें, इसके बाद सना पढ़े, फिर अल्हम्दु शरीफ और कोई भी सुरह पढ़कर रुकुअ व सज्दा करें, इसी तरह दुसरी रकअत भी मुक्कमल करें।

फजर की 2 रकत सुन्नत नमाज़ का तरीका

सबसे पहले नियत करें अगर आपको नियत मालूम नहीं हो तो नीचे की ओर मैंने नीयत लिखा है उसे जरूर याद कर ले इसके बाद अपने दोनों हाथों को उपर उठाएं और अल्लाहु अकबर कहते हुए हाथ बांध लें।

इसके बाद सना यानि सुब्हानकल्लाहुम्म व बि हम दिक व तबारकस्मुक व तआला जद्दुक व लाइलाह गैरुक पढ़े फिर अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़े।

इसके बाद अल्हम्दु शरीफ यानी सूरह फातिहा को पढ़े फिर आहिस्ते से आमीन कहे इसके बाद कुरान शरीफ की कोई भी सुरह को पढ़े हालांकि सुर ए काफीरुन यानी कुल या अय्युहल काफीरून को पढ़ना सुन्नत है।

इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकुअ करें जैसे हर नमाज़ का रुकुअ होता है जिसमें कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़े फिर रब्बना लकल ह्मद कहते हुए सीधे हो जाएं।

इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे करें जिस तरह से हर नमाज़ की सजदा किया जाता है और तीन बार, पांच बार या सात बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़े इसी तरह से दो बार सजदा करें यहां तक एक रकअत मुकम्मल हो गई।

फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाएं और हांथ बांध लें फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर सुरह फातिहा यानी अल्हमदुलिल्लाह रब्बिल आलमिन पुरा पढ़े फिर कोई भी सुरह को पढ़े अगर आपको सुरह इखलास यानी कुल हु वल्लाहु अहद आता हो तो इसे ही पढ़े यह सुन्नत है।

इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए जिस तरह से पहली रकअत में रूकुअ किए थे यहां पर भी उसी तरह से करना है यहां भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम को पढ़े फिर रब्बना लकल ह्मद कहते हुए खड़े हो जाएं।

इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदा करें और कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बियल अला पढ़े इसी तरह एक बार और सजदा करें फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाएं।

यहां पर आपको अतहियात यानि अतहिय्यातु लिल्लाही वस्सलवा तू वतैय्यिबातू पुरा पढ़े जब कलीमे ला के क़रीब पहुंचे तो दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दें।

इसके बाद दुरूद शरीफ़ पढ़े फिर दुआ ए मासुरह को पढ़े इसके बाद सलाम फेर लें इस तरह से की अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए पहले दाएं ओर गर्दन को घुमाएं में फिर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते बाए की तरफ़ गर्दन को मोड़े यहां पर आपकी सुन्नत मुकम्मल हो गई।

फजर की नमाज़ की फर्ज़ अदा करने का मुकम्मल तरीका

सबसे पहले नियत करें जो फजर की फर्ज की नियत होती है इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए दोनों हाथों को कानों के लिए लौ तक ले जाएं फिर नीचे लाकर हाथ को बांध ले जिस तरह से नियत बांधी जाती है।

फिर यहां पर भी सना यानि सुब्हानकल्लाहुम्म व बि हम दिक व तबारकस्मुक व तआला जद्दुक व लाइलाह गैरुक पढ़े फिर अउजुबिल्लाहि मिनशशैतानिर्रजीम बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़े अगर अकेला पढ़ रहे हैं तो सिर्फ सना पढ़े।

फिर यहां पर भी आपको अल्हम्दु शरीफ यानी सूरह फातिहा को पढ़ना है फिर आहिस्ते से आमीन कहे इसके बाद कुरान शरीफ की कोई भी सुरह को पढ़े अगर आप जमाअत के साथ नमाज़ अदा कर रहे हैं तो आपको अल्हम्दु शरीफ और सुरह पढ़ने की जरूरत नहीं।

इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकुअ करें जैसे हर नमाज़ का रुकुअ होता है जिसमें कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़े फिर रब्बना लकल ह्मद कहते हुए सीधे हो जाएं अगर आप अकेले पढ़ रहे हैं तो रब्बना लकल ह्मद कहने की जरूरत नहीं।

इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे करें जिस तरह से हर नमाज़ की सजदा किया जाता है और तीन बार, पांच बार या सात बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़े इसी तरह से दो बार सजदा करें यहां तक फर्ज की पहली रकअत मुकम्मल हो गई।

फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाएं और हांथ बांध लें फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम पढ़कर सुरह फातिहा यानी अल्हमदुलिल्लाह रब्बिल आलमिन पुरा पढ़े फिर कोई भी सुरह को पढ़े, यहां पर भी ध्यान रहे कि इमाम के पीछे अल्हम्दु शरीफ़ और सुरह नहीं पढ़ना होता है।

इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए जिस तरह से पहली रकअत में रूकुअ किए थे यहां पर भी उसी तरह से करना है यहां भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम को पढ़े फिर रब्बना लकल ह्मद कहते हुए खड़े हो जाएं जमाअत के साथ रब्बना लकल ह्मद कहना जरूरी नहीं।

इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदा करें और कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बियल अला पढ़े इसी तरह एक बार और सजदा करें फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाएं।

यहां पर आपको अतहियात यानि अतहिय्यातु लिल्लाही वस्सलवा तू वतैय्यिबातू पुरा पढ़ना है जब कलीमे ला के क़रीब पहुंचे तो दाहिने हाथ की शहादत उंगली उठाएं और इल्ला पर गिरा दें।

इसके बाद दुरूद शरीफ़ पढ़े फिर दुआ ए मासुरह को पढ़े इसके बाद इमाम साहब को कहने पर सलाम फेरें अगर अकेले पढ़ रहे हैं तो खुद से सलाम फेर लें इस तरह से की अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए पहले दाएं ओर गर्दन को घुमाएं में फिर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते बाए की तरफ़ गर्दन को मोड़े यहां पर आपकी फजर की फर्ज़ मुकम्मल हो गई।

फज़र की नमाज़ का तरीका औरत की

सबसे पहले आप भी नियत पढ़े फिर नीयत बांधे लेकीन आपको अपने तरीके से नियत बांधना है जिस तरह से औरत के लिए होता है हांथों को कानों की लौ तक उठाने के बजाय कांधे तक ही उठाएं।

फिर सभी वही सना, अल्हम्दु शरीफ़ और सुरह पढ़े जो उपर में बताया है फिर रुकुअ और सजदे करें लेकीन अपने तरीके से रुकुअ करें जिस तरह रुकुअ में झुका जाता है लेकीन सब वही चीज पढ़ना है।

आपको एक बात बता दें कि नमाज में पढ़ने वाली चीज सब वही पढ़ना है सिर्फ अपना तरीका अपनाना है जिस तरह से औरतों के लिए नमाज पढ़ने का तरीका होता है अपना तरीका अपनाते हुए और जो मैंने उपर में बताया है वही पढ़ते हुए फजर की सुन्नत और फर्ज मुकम्मल करें।

फज़र की नमाज़ की रकात

फजर की नमाज दो दो रकअत करके चार रकअत की होती है, सबसे पहले दो रकअत सुन्नत अदा करना होता है, फिर दो रकअत फर्ज अदा किया जाता है, फजर की नमाज दो सलाम के साथ मुकम्मल किया जाता है, इसमें भी बाकी नमाजो की तरह हर रकअत के बाद रुकुअ और सज्दा किया जाता है।

फज़र की नमाज़ की नियत

फज़र कि सुन्नत की नियत हिन्दी में:- नियत की मैने दो रकअत नमाज ए फजर की सुन्नत रसूले पाक की वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।
अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला रकाति सलावतिल फजरी सुन्नत रसुल्लाहे मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।

फज़र कि फर्ज की नियत हिन्दी में:- नियत की मैने दो रकअत नमाज ए फजर की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।
अरबी नियत हिन्दी में:- नवैतुवन उसल्लीय लिल्लाही तआला रकाति सलावतिल फजरी फर्जुल्लाहे तआला मुतवाजि़हन इल्लाजिहातिल काअबतिश सरीफत्ही अल्लाहू अकबर।

ध्यान दें:- अगर आप फजर की फर्ज जमाअत के साथ पढ़ रहे हैं तो हिन्दी नीयत में वास्ते अल्लाह तआला के बाद पीछे इस इमाम के कहें और अरबी वाली में फर्जुल्लाहे तआला के बाद इकत् दयतु बिहाजल इमाम कहें।

FAQ

फजर की नमाज छूट जाए तो क्या करें?

अगर आप फजर की नमाज उसके वक्त पर अदा नहीं कर सकें हैं तो फजर की क़जा करें।

फजर की नमाज में कितनी रकात होती है?

फजर की नमाज में कुल चार रकअत पढ़ी जाती है दो रकअत सुन्नत और दो रकअत फर्ज़ अदा की जाती है।

फजर की नमाज का वक्त कब तक रहता है?

फजर की नमाज का वक्त सूरज बुलंद होने के बीस मिनट तक रहता है।

फजर की नमाज के बाद क्या पढ़ना चाहिए?

अगर आप फजर की नमाज मुकम्मल कर लिए हैं तो दुआएं अधिकार करें और तिलावते कुरान करें।

आखिरी बात

हमने इस पैगाम के जरिए आपको फजर की नमाज का तरीका पूरा बताया है, इसके साथ ही साथ और भी फजर की नमाज से जुड़ी अधिक बातें बताई है, हमें यकीन है कि यह आर्टिकल आपके लिए काफी लाभदायक और सहायक रहा होगा इस आर्टिकल को मैंने सभी जानकारी को अच्छे तरीके से खोजने के बाद आप तक आसान भाषा में पहुंचाई है।

क्योंकि मेरा मिशन अव्वल से लेकर आखिर तक यही रहा है कि हम अपने मोमिनों को पूरा जानकारी आसान शब्दों में जिसे पढ़ने के बाद वे आसानी से समझ जाएं और इस कोशिश की कामयाबी का एहसास हो रहा है।

6 Comments

  1. Sharifa jetham

    Mashallah bohot bohot shukriya aapka.

  2. Sharifa jetham

    Mashallah bohot bohot shukriya bhai aapka.

  3. Sharifa jetham

    Mashallah bohot bohot shukriya bhai aapka

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